4 कस्या भी गाम में जाया केड़े थाँकी आवभगत जणी घर में पेली वेवे, वणी घर में जतरे पाच्छा वणी गामऊँ जावो वतरे वटेईस रेज्यो।
“थाँ जद्याँ कणी नगर कन गाम में जावो, तो पतो लगावो के, वटे विस्वास के जोगो कूण हे अन जटा तईं वटूँ ने जावो, वींका वटेईस रेवो।
अन अस्यान भी क्यो, “जीं घर में थाँने मान मले वटे अतरीक देर तईं रको, जतरी देर तईं वाँ जगाँ ने छोड़ो।
अन ईसू वाँकाऊँ क्यो, “आपणी जातरा का वाते कई मती लेज्यो, ने तो लाकड़ी अन नेई जोळी, नेई रोटी, नेई रिप्या-कोड़ी अन नेई दो-दो जोड़ी गाबा।
जणी नगर में थाँकी आवभगत ने वेवे, वटूँ निकळता तका आपणाँ पगाँ को धूळो वटेईस जाटक दिज्यो, ताँके ईं बात को वाँने पतो पड़ जावे के, वाँका नास को कारण वे खुदईस हे।”
जदी वा लुगई अन वींका परवारवाळा हंगळा हाते बतिस्मो लिदो तो वणी माँकी मनवार किदी के, “यद्याँ थाँ मने परमेसर में विस्वास करबावाळी लुगई हमजो, तो अटूँ मारे हाते चालो अन मारे घरे रो।” जद्याँ तईं माँ राजी ने व्या, तद्याँ तईं वा मनवार करतिइस री।