वीं परदेसऊँ एक लुगई अई ज्या कनानी जात की ही अन वाँ कल्ड़ो हाका-भार मेलन केबा लागी, “हो परबू जी! दाऊद का पूत, मारा पे दया कर! मारी बेटी ने हुगली आत्मा घणी सता री हे।”
जद्याँ वीं वणी नगर की फाटक का नके पूग्या तो, वटे कई वेवे हे के, लोग-बाग एक मरिया तका मनक ने खाटली पे हूँवाणन बारणे लईरा हा, ज्यो आपणी माँ को एकाएक बेटो हो, अन वा विदवा ही। अन वणी नगर का नरई मनक वींका हाते हा।
अन अणाचेत की एक हुगली आत्मा वींमें आ जावे हे अन वो हाको करबा लाग जावे अन वाँ वींने अस्यो मरोड़े हे के, वींका मुण्डाऊँ जाग आ जावे हे। अन वाँ वींने कदीस ने छोड़े हे अन हमेस्यान वींका सरीर ने खारी ही।
जद्याँ वणी अदिकारी यो हुण्यो के, ईसू यहूदियाँ परदेसऊँ गलील परदेस में आग्या हे, तो वो वाँके नके ग्यो अन वाँकाऊँ अरज करबा लागो के, “चालो, अन मारा छोरा ने हव कर दो, काँके वो मरबा में हे।”