ईं वाते यद्याँ परमेसर काकड़ का फुल ने जी आज हे अन ज्याँने काले बाळ दिदा जाई। वाँने अस्यो पेरावो पेरावे हे, तो हो कम विस्वासवाळा मनकाँ, वीं थाँकी देक-रेक काँ ने करी?
पसे ईसू आपणाँ चेलाऊँ क्यो, “जद्याँ में थाँने बना बटवा, जोळी अन बना पगरख्याँ के खन्दाया हा। तो कई थाँने कणी भी बात की कमी वी?” वणा क्यो, “कणी भी बात की कमी ने वी।”
वणी लेवी आपणाँ घर में ईसू की आवभगत का वाते मोटो जीमण राक्यो। अन आया तका मेमान में नरई लगान लेबावाळा अन दूजाँ मनक भी हा। ईं हाराई ईसू का हाते जीमण में बेटा हा।
एक सपई जद्याँ आपणाँ काम में लाग्यो तको रेवे हे, तो वो आपणाँऊँ ऊपरे का अदिकारी ने आपणाँ कामऊँ राजी राकणो छावे हे अन ईं वजेऊँ वो खुद ने दनियादारी का कामाँ में ने नाके हे।