21 तद्याँ ईसू वाँने चेतान क्यो के, “यो थाँ किंने भी मती केज्यो।”
तद्याँ वाँकाणी चेला ने हेंचेत किदा के, “किंने भी मती किज्यो के मूँ मसी हूँ।”
जद्याँ वीं मंगराऊँ रेटे उतरिया हाँ तद्याँ ईसू वाँने ओ क्यो, “जद्याँ तई मनक को पूत मरिया तकाऊँ ने जी उटी, तद्याँ तईं ज्यो कई थाँ देक्यो हे किंने भी मती किज्यो।”
ईसू वणीऊँ क्यो, “देक, ईंका बारा में किंने केज्ये मती पण जान आपणाँ खुद ने याजकाँ ने बता अन ज्या बोलमा मूसे चढाबा के वाते बतई हे वींने चढा, जणीऊँ मनकाँ ने यो सबूत मल जावे के, थाँरो कोड़ जातो रियो।”
अन वाँकी आक्याँ खलगी। ईसू वाँने चेताते तके क्यो, “ध्यान राकज्यो, ईं बाताँ का बारा में किंने पतो ने चालणो छावे।”