हाराई सिरिया देस में वाँको हव हमच्यार फेलग्यो। ईं वाते लोग अस्या हाराई मनकाँ ने ज्यो तरे-तरे की मांदकीऊँ माँदा हा, जणामें हुगळी-आत्मा, जाँने मरगी का जोला आता हा, अन जीं लकवा का माँदा हाँ, वाँने ईसू का नके लाया अन ईसू वाँने हव किदा।
काँके मूँ भी एक अस्या मोटा अदिकारी की दबियादारी में काम करूँ हूँ अन मारा रेटे भी सिपाई हे। जद्याँ मूँ एक सपईऊँ केवूँ हूँ, ‘जा’ तो वो चाल्यो जावे हे अन दूजाऊँ केवूँ, ‘आ’ तो वो आ जावे हे। मूँ मारा दासऊँ केवूँ के ‘यो कर’, तो वो वोईस काम करे हे।”
काँके ईसू का नाम पे विस्वास करबा का मसऊँ यो मनक ताकड़े वेग्यो, जिंने थाँ देकरिया हो अन जाणो हो। हाँ, ईं मनक का विस्वासऊँ यो मनक थाँका हामे पुरी तरियाँ हव व्यो हे।”