42 काँके वींके एकीस छोरी ही ज्या बारा वर की ही। अन वाँ मरबा के जस्यान वेरी ही। जद्याँ ईसू वींका घरे जारिया हा, तद्याँ मनक वाँके ऊपरे च्यारूँमेरऊँ पड़बा लागा।
जद्याँ वीं वणी नगर की फाटक का नके पूग्या तो, वटे कई वेवे हे के, लोग-बाग एक मरिया तका मनक ने खाटली पे हूँवाणन बारणे लईरा हा, ज्यो आपणी माँ को एकाएक बेटो हो, अन वा विदवा ही। अन वणी नगर का नरई मनक वींका हाते हा।
अतराक में ईसू जी क्यो, “मारे कणी हात अड़ायो हे?” तद्याँ हाराई नटबा लागा, तो पतरस अन वाँका हण्डाळ्याँ वाँकाऊँ क्यो, “हो मालिक, थाँने तो भीड़ च्यारूँमेरऊँ गेर मेल्या हे अन हाराई थाँके ऊपरे पड़रिया हे।”