4 जद्याँ नगर-नगर का लोग-बाग वाँका नके आरिया अन नरई मनक भेळा वेग्या हा, तो ईसू वाँकाऊँ केणीऊँ आ बाताँ किदी के,
वणीस दन ईसू आपणाँ चेला की लारे समन्द का कनारे जान बेटग्यो अन उपदेस देबा लागग्यो।
“एक दाण एक करसाण हो, वो बीज बोवा ने ग्यो। तो कई व्यो बोती दाण थोड़ाक बीज गेला का कनारे पड़या, ज्यो घसरई ग्या, अन उड़बावाळा जीव-जनावर वाँने चुगग्या।