34 गवाळ ज्यो व्यो हो, वो देकन भागग्या अन वणा नगर अन गामाँ में जान आ आक्याँ देकी बात बतई दिदी।
वीं लुगायाँ गेला मेंईस ही अन रुकाळी करबावाळा मूँ कुई नगर में आन हारई हाल मुक्य याजकाँ ने बता दिदो।
रेवड़ का गवाळ्याँ भागग्या अन नगर में जान वटे ज्यो कई व्यो हो वो अन ज्यामें हुगली आत्मा ही वाँका हारई को हाल के हूँणाया।
अन पछे टोळी का रूकाळया मनक गाम अन खेता में भागता तका जान आ खबर हुणई, तो लोग-बाग ज्यो भी व्यो, वींने देकबा आया।
तद्याँ हुगली आत्मा की टोळी वणी मनकऊँ निकळन हूँरा की रेवड़ में गी अन वाँ घाटी मेंऊँ पड़ता-गुड़ता तका भागन समन्द में जान डुबगी अन मरगी।
अन लोग-बाग ज्यो व्यो हो वींने देकबा वाते आया, अन ईसू का नके आन वणी मनकऊँ हुगली आत्मा निकळी ही, वींने ईसू जी का चरणा बेट्यो तको अन वणी मनक गाबा पेरिया तका हा अन वींको दिमाग सई वेग्यो हो। यो देकन वीं मनक दरपग्या।