30 ईसू वींने पूँछ्यो, “थारो नाम कई हे?” वणी क्यो, “मारो नाम टोळी हे।” काँके नरी हुगली आत्मा वींका में ही।
कई थाँ ने जाणे के, मूँ आपणाँ बापूऊँ अरज कर सकूँ हूँ, अन वो हरग दुताँ की बाराई फोजाऊँ हेला मारा नके अबाणू भेळा कर देई?
हाराई सिरिया देस में वाँको हव हमच्यार फेलग्यो। ईं वाते लोग अस्या हाराई मनकाँ ने ज्यो तरे-तरे की मांदकीऊँ माँदा हा, जणामें हुगळी-आत्मा, जाँने मरगी का जोला आता हा, अन जीं लकवा का माँदा हाँ, वाँने ईसू का नके लाया अन ईसू वाँने हव किदा।
वाँकाणी ईसू ने ओळकन हाका-भार किदी अन क्यो, “हो परमेसर का पूत, थूँ माँकाऊँ कई छावे हे? कई थूँ माँने टेमऊँ पेल्याई दण्ड देबाने अटे आयो हे?”
हपता के पेले दन दितवार ने वो जीवतो व्या केड़े, हारऊँ पेल्याँ मरियम मगदलीनी का मुण्डागे परगट व्यो, जिंने वे हात हुगली आत्माऊँ छुटकारो दिदो हो।
तद्याँ ईसू वींने पूँछ्यो, “थारो नाम कई हे?” वणी क्यो, “मारो नाम टोळी हे, काँके माँ नरई हा।”
अन हुगली आत्मा अन मांदकीऊँ हव वी तकी नरी लुगायाँ भी वाँका हाते ही। वाँका मूँ हात हुगली आत्माऊँ हव वी तकी मरियम मगदलीनी नाम की एक लुगई भी ही।