24 जद्याँ वी ईसू नके आया अन वाँने नींदऊँ जगान केबा लागा, “हो परबुजी आपीं डुबरिया हा।” तद्याँ वी उठा वेन डूँज अन लेराँ ने हाँको करन तापड़ी अन वी रकगी अन च्यारूँमेर सान्ती वेगी।
पण वो डूँज ने देकन दरपग्यो, अन जद्याँ डुबवा लागो तो हाका-भार मेलन क्यो, “हो परबू, मने बचा!”
तद्याँ चेला वींका नके आन वाँने जगाया अन क्यो, “हो परबू, आपाँने बचावो, आपीं डुबवावाळा हा।”
तो ईसू ऊबा व्या अन डूँज ने तापड़न क्यो, “सान्त वेजा।” अन लेराँ ने क्यो, “ठम जावो।” वीं दाणई डूँज ठमगी अन च्यारूँमेर सान्ती वेगी।
ईसू वींने तापड़न क्यो, “छानो रे, अन अणी मनकऊँ बाणे निकळजा।” वणी हुगली आत्मा वींने हाराई मनकाँ हामे रेटे पटक्यो अन वींके कई नकसाण ने किदो अन वींमूँ बारणे निकळगी।
ईसू जी वीके हराणे ऊबा रेन अदिकारऊँ ताव उतरबा का वाते क्यो वणीस दाण वींको ताव उतरग्यो अन वाँ वाँकी सेवा-चाकरी करबा लागी।
समोन ईसुऊँ क्यो, “हे मालिक, माँ पुरी रात-भर मेनत किदी पण कई हाते ने लागो। तो भी थाँका केवाऊँ जाळ नाकूँ।”
अन वणा वाँकाऊँ क्यो, “थाँको विस्वास कटे हो?” पण वीं दरपग्या अन अचम्बा में आग्या अन एक-दूजाऊँ केबा लागा, “ईं कूण हे? ज्यो डूँज अन पाणी ने भी आग्या देवे हे, अन वी अणाको केणो माने हे।”