14 अन ज्यो बीज झाड़क्याँ में पड़्या वी वणी मनक का जस्यान हे, जी बचन माने तो हे, पण वीं चन्ता-फिकर अन मो-माया अन जीवन का भोग-विलास में दब जावे हे अन वाँके फळ भी ने पाके हे।
ज्यो बीज झाड़क्याँ में वाया ग्या, वीं वणा मनकाँ का जस्यान हे, ज्यो परमेसर का बचन ने हुणे हे, पण ईं दनियाँ की चन्ता अन धन-माया को लोब-लाळच वाँने परमेसर को बचन भुलई दे के, परमेसर वाँकाऊँ कई छावे हे अन वो फळ ने लावे।
कस्योई दास दो मालिकाँ की सेवा ने कर सके हे। काँके वो तो एकऊँ वेर राकी अन दूजाऊँ परेम राकी कन पछे एकऊँ मल्यो तको रेई अन दूजाँ ने बेकार जाणी। थाँ परमेसर अन धन, अणा दुयाँ की सेवा एक हाते ने कर सको हो।”
काँकरा वाळी जगाँ का बीज वणा मनकाँ का जस्यान हे के, जद्याँ वी हुणे, तो वी आणन्द का हाते परमेसर की वाणी ने माने हे। पण वीं जड़ ने पकड़वा का मस थोड़ीक दाण विस्वास करे हे अन परक की दाण वी भाग जावे हे।
काँके देमास तो ईं दनियादारी का मो-माया में पड़न मने छोड़न थिस्सुलुनिक्यों नगर परोग्यो हे। क्रेसकेस गलातिया नगर में अन तीतूस दलमतिया नगर में परोग्यो हे।
ईं वाते आवो, मसी की हिक की सरुआत की बाताँ ने छोड़न आपाँ पाका वेबा का वाते आगे बड़ता जावा। अन आपाँ सरुआत की हिक की नीम पाच्छी ने नाका, जस्यान के, मोत का आड़ी लेजाबावाळा कामाँऊँ मन फेरणो, अन परमेसर पे विस्वास करणो,