10 ईसू वाँने क्यो, “थाँने परमेसर का राज का भेद ने हमजबा की हमज दिदी गी हे, पण दूजाँ ने ईं बात ने केणी में हुणई जावे हे के, “‘वीं देकता तका भी ने देके अन हूणता तका भी ने हुणे।’”
ईं वाते, “‘वीं देके अन देकताई रेई, पण वाँने कई हूजे कोयने। वीं हुणे अन हुणताई रेई, पण वीं कई हमजे कोयने। यद्याँ वीं अस्यान हमजता, तो परमेसर का नके आता अन वो वाँने माप करतो।’”
“परमेसर वाँकी आक्याँ ने आंदी अन वाँका मन कल्डा कर दिदा हे, ताँके वीं आक्याँऊँ ने देक सके अन मनऊँ ने हमजे सके, कदी अस्यान ने वे के, वी मारा आड़ी फरे अन मूँ वाँने हव करूँ।”
कुई ने नट सके के, आपणाँ धरम को भेद कस्यो मोटा हे, वो ज्यो मनक का रूप में परगट व्यो, पुवितर आत्मा जिंने धरमी बतायो, अन हरग-दुत जिंने देक्यो, देसा देसा में वींको परच्यार करियो ग्यो, दनियाँ में वींपे विस्वास करियो ग्यो, अन मेमावान हरग में उठा लिदो ग्यो।