हारई जणा अचम्बा में पड़ग्या अन अतरो अचम्बो व्यो के, वे एक-दूँजा ने पूँछबा लागा, “यो कई हे? यो कई नुवो उपदेस हे? वो हकऊँ हुगली आत्माने आदेस देवे अन वा आत्मा वींने भी माने हे।”
काँके मूँ भी कणी अदिकारी का केवा में काम करबावाळो मनक हूँ अन मारा रेटे भी घणा अदिकारी हे, एक ने केवूँ के ‘जा’, तो वो जावे हे अन एक कूँ केवूँ के, ‘आव’ तो वो आवे हे अन आपणाँ कणी दास ने कूँ के, ‘यो कर’, तो वो करे हे।”