35 पण परमेसर की अकल के जस्यान चालबावाळा वाँकी अकल ने सई साबत करी।”
पछे मनक को पूत दूजाँ का जस्यान खातो-पितो आयो अन वीं केवे हे के देको, ‘यो खवगड़्यो अन दारुड़्यो हे, कर लेबावाळा को अन पाप्याँ को गोटी हे।’ पण परमेसर का ग्यान पे चालबावाळा आपणाँ करमाऊँ वींको ग्यान हाँचो साबत वेवे हे।”
यहुन्नाऊँ बतिस्मो लिदा तका हाराई लोग-बाग अटा तईं के, लगान लेबावाला भी ईसू की ईं बात ने हुणन परमेसर का गेला ने हाँचो मान लिदो।
पसे मूँ मनक को पूत खातो-पितो आयो तो, थाँ केरिया हो, ‘देको यो खवगड़्यो अन पीबावाळो मनक हे। अन लगान लेबावाळा अन पाप्याँ को हण्डाळ्यो हे।’
पछे कणी फरीसी ईसू की मनवार करन क्यो के, “गरुजी आज रोट्याँ आपणाँ घरीस हे।” तद्याँ ईसू वाँके घरे ग्या अन रोटी खाबा ने बेटा।