“ओ यरूसलेम, ओ यरूसलेम, थूँ ज्यो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा ने मार नाके हे अन ज्यो थाँरा नके आवे हे वाँका ने भाटा मारे हे। कतरी दाण में यो छायो हो के, जस्यान कूकड़ी आपणाँ बच्या ने आपणाँ फाकड़ा का रेटे भेळा करन राके हे, मूँ भी वस्यानीस थाँरा मनकाँ ने भेळा करूँ, पण थें यो ने छायो हो।
अन यद्याँ आपाँ केवाँ के, ‘मनकाँ का आड़ीऊँ हे।’ तो हाराई लोग-बाग आपणे भाटा मारी। काँके वीं हाँची में जाणे हे के, यहुन्नो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो हो।”
परमेसर ज्यो कई करी आपणी मन की मरजी अन ते किदी तकी बात के जस्यान करी अन परमेसर आपाँने खुद का मकसद के जस्यानीस वाँके खुद की परजा बणबा का वाते ईसू मसी का हाते गट-जोड़ करन चुण्या हा, जिंने वणा पेल्याई ते कर मेल्यो हो।