पसे ईसू कटे परातना कररियो हो अन जद्याँ वणा परातना कर नाकी। तो वाँका चेला मूँ एक चेले वाँने क्यो, “ओ परबू जी, जणी तरिया यहुन्ने आपणाँ चेला ने परातना करबा ने हिकाया हा। वणीस तरिया माने भी हिकावो।”
तद्याँ परबू क्यो, “यद्याँ थाँकामें हरूँ का दाणा के जतरोक भी विस्वास वेतो, तो थाँ ईं हेतूत का रूँकड़ाऊँ केता के, ‘जड़ हमेत उखड़न समन्द में लागी जा’, तो वो थाँकी बात मान लेतो।”
जक्कई ऊबो वेन परबूऊँ क्यो, “ओ परबू जी, देको, मूँ मारी कमई को आदो हिस्सो गरीब-अनाता ने देवूँ हूँ अन यद्याँ किंको भी मन दुकान लिदो हे, तो वींने च्यार-गुणो पाछो दी देवूँ।”
वीं ईसू का नके आन क्यो, “यहुन्ने बतिस्मा देबावाळे माँने थाँका नके यो पतो करबा ने खन्दाया हे के, ‘कई थाँ वींइस हे ज्यो आबावाळो हो कन पसे माँ कणी दूजाँ की वाट नाळा?’”