पसे ईसू कटे परातना कररियो हो अन जद्याँ वणा परातना कर नाकी। तो वाँका चेला मूँ एक चेले वाँने क्यो, “ओ परबू जी, जणी तरिया यहुन्ने आपणाँ चेला ने परातना करबा ने हिकाया हा। वणीस तरिया माने भी हिकावो।”
तद्याँ परबू क्यो, “यद्याँ थाँकामें हरूँ का दाणा के जतरोक भी विस्वास वेतो, तो थाँ ईं हेतूत का रूँकड़ाऊँ केता के, ‘जड़ हमेत उखड़न समन्द में लागी जा’, तो वो थाँकी बात मान लेतो।”
जक्कई ऊबो वेन परबूऊँ क्यो, “ओ परबू जी, देको, मूँ मारी कमई को आदो हिस्सो गरीब-अनाता ने देवूँ हूँ अन यद्याँ किंको भी मन दुकान लिदो हे, तो वींने च्यार-गुणो पाछो दी देवूँ।”
जद्याँ वीं वणी नगर की फाटक का नके पूग्या तो, वटे कई वेवे हे के, लोग-बाग एक मरिया तका मनक ने खाटली पे हूँवाणन बारणे लईरा हा, ज्यो आपणी माँ को एकाएक बेटो हो, अन वा विदवा ही। अन वणी नगर का नरई मनक वींका हाते हा।
अन रोबा वाळा अस्या वे के, मानो वीं कदी दकी ने व्याई कोयने अन आणन्द करबावाळा अस्या वे मानो आणन्द ने करे, अन मोल लेबावाळा अस्या वे मानो वाँका नके कई ने हे।
हो भायाँ-बेना, माँ छावाँ हाँ के, थाँ मरिया तका विस्वासी भायाँ का पाच्छा जी उठबा का हाँच ने जाणो, जणीऊँ थाँ बना विस्वास करबावाळा के जस्यान दकी ने वेवो, ज्याँका नके आस ने हे।
ईं वाते वींने हरेक बात में मनकाँ का जस्यानीस बणायो ग्यो हो, जणीऊँ वो परमेसर की सेवा करबा का वाते दया करबावाळो अन विस्वास जोगो मायाजक बणे। ताँके मनकाँ का पापाँ का मापी वाते बली हो सके।