वीं वणी मनक का जस्यान वेई, जणी घर बणाती दाण नीम ने उण्डी खोदन मोटी छाँट पे घर बणायो हो अन बाड़ अई जद्याँ वणी के टकरई पण वणी घर ने हला ने सकी, काँके वो सई तरियाऊँ पाको बण्यो तको हो।
काँकरा वाळी जगाँ का बीज वणा मनकाँ का जस्यान हे के, जद्याँ वी हुणे, तो वी आणन्द का हाते परमेसर की वाणी ने माने हे। पण वीं जड़ ने पकड़वा का मस थोड़ीक दाण विस्वास करे हे अन परक की दाण वी भाग जावे हे।
ईंपे यहूदी नेता वाँने क्यो, “अबे माँने पको विस्वास वेग्यो हे के, थाँरा में हुगली आत्मा धस्यी तकी हे। अबराम अन परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा तो मरग्या, पण थूँ केवे हे के, ‘यद्याँ कुई मारी हिक ने मानी, तो वो कदी ने मरी।’
ईं वाते हो भायाँ, थाँ यो दिकाबा का वाते घणा ताकड़े रेवो के, थाँ हाँची में परमेसर का आड़ीऊँ बलाया अन चुण्या ग्या हो, काँके यद्याँ थाँ अणा हारी बाताँने करता रेवो, तो कदी ठोकर ने खावो अन नेई कदी रेटे पड़ो।