ईं बात पे पतरस क्यो, “ए हनन्या, सेतान थाँरा मन में आ बात कस्यान ले आयो के, थूँ पुवितर आत्माऊँ जूट बोले अन जगाँ-जमीं का आया रिप्या-कोड़ीऊँ थोड़ाक बंचान आपणाँ नके राक ले।
मूँ हाराई पुवितर मनकाँऊँ फोरो हूँ, पण मारा पे आ करपा वीं के, मूँ मसी का अनमोल धन ने ज्यो हमजऊँ बारणे हे वींका हव हमच्यार ने ज्यो यहूदी ने हे वाँ लोगाँ ने हूणाऊँ
मसी का बचना ने आपणाँ हरदा में नराऊँ-नरा वसबा दो अन हाराई ग्यानऊँ एक दूजाँ ने हिकावो अन हेंचेत करता रेवो। थाँका हरदाऊँ परमेसर को धन्नेवाद करता तका भजन, बड़ई का गीत अन आत्मिक गीत गाता रेवो।