24 पण हो धनवान, धिकार हे थाँने, काँके थाँ आपणाँ सक पा चुक्या हो।
“जद्याँ थाँ एकाणो करो, तो कपट्या के जस्यान थाँको मुण्डो लटक्यो तको ने रेवे, काँके वीं खुद को मुण्डो अस्यानई लटकान राके हे, ईंऊँ वाँने मनक एकाणो राकबावाळा भगत हमजे। मूँ थाँने हाँची केऊँ हूँ के, वणा ईंको फळ पा लिदो हे।
“ईं वाते जद्याँ थाँ कणी जरुतवाळा ने दान देवो हो तो आपणी बड़ई मती करज्यो, जस्यान के परातना घर में अन गेला-गाटे कपटी मनक दूजाऊँ आपणी बड़ई करबा का वाते करे हे। मूँ थाँने हाचेई केवूँ हूँ के, वाँने वाँको फळ पेल्याई दिदो जा चुक्यो हे।
“जद्याँ थाँ परातना करो, तो कपटी मनकाँ का जस्या परातना मती करज्यो, काँके वीं मनकाँ ने दिकावा का वाते परातना घर में अन गेला का ऊपरे ऊबा वेन परातना करणो वाँने हव लागे हे। मूँ थाँने हाचेई केवूँ हूँ के, वणा आपणो फल पा लिदो हे।
हो धाप्याँ तका धिकार हे थाँने, थाँ भूका वेवो अन हो आणन्द मनाबावाळा धिकार हे थाँने, काँके थाँ रोवो अन होक करो।
जतरा मनक ईं धरती पे रिप्यावाळा हे वाँने आग्या दे के, वीं ईंपे मेपणो ने करे, पण वाँकी आस ईं नास वेबावाळा चिजाँ की बजाय परमेसर पे वेवे, ज्यो आपाँने आपणाँ आणन्द का वाते हारी चिजाँ देवे हे।
पण थाँ तो वणी गरीब मनक को अपमान किदो हो। कई धनी मनक वीं ने हे? जीं थाँका पे जोर जुलम करे अन थाँने थाणा में गड़ीन ने ले जावे?