23 वणी दन थाँ राजी वेन आणन्द मनाज्यो, काँके थाँका वाते परमेसर का राज में मोटो फळ हे। आद राकज्यो के, वाँका बड़ाबा भी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा का हाते भी वस्योईस करिया करता हा।
तद्याँ थाँ राजी वेज्यो अन आणन्द मनाज्यो, काँके हरग में थाँने ईंको फळ मली। यो वस्यानीस हे जस्यान थाँकाऊँ पेल्याँ परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा लोगाँ ने हताया हा।
पण थाँ आपणाँ दसमणाऊँ परेम राको अन भलई करो, अन पाच्छा पाबा की आस ने राकन उदार दो, तद्याँ थाँने मोटो ईनाम मली अन थाँ परबू परमेसर की ओलाद केवावो, काँके परमेसर आग्या ने मानबावाळा अन पापी मनकाँ पे भी दया करे हे।
ईं तरियाँ मूँ मसी का आड़ीऊँ मारी कमजोरियाँ में, बेजत वेन में, दुक में, हताव में, तकलिप में, अबकी टेम में मूँ राजी रूँ हूँ। जद्याँ मूँ कमजोर वेवूँ हूँ, तद्याँईस मूँ जोरावर बणूँ हूँ।
काँके विस्वास के बना परमेसर ने राजी ने किदा जा सके हे अन जद्याँ कुई परबू का नके आवे हे, तो वींने विस्वास करणो छावे के, वो हे, अन ज्यो वींने होदे हे, वो वींने फळ देवे हे।
जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे। ज्यो भी जिती, मूँ वाँने हरग में हपायो तको मन्नो देऊँ। मूँ वाँने एक धोळो भाटो भी देऊँ, जिंका ऊपरे एक नुवो नाम लिक्यो तको वेई। वो नाम वीं मनक का छोड़न कुई ने जाणी, जिंने वो दिदो जाई।
जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे। ज्यो भी बुरईऊँ जिती मूँ वींने परमेसर का बाग में जीवन का रूँकड़ा का लाग्या तका फळ खाबा को हक देऊँ।
ज्यो भी जिती वींने मूँ परमेसर का मन्दर को थम्बो बणाऊँ। अन वींके केड़े, वो कदी बारणे ने जाई। मूँ वींपे मारा परमेसर को नाम लिकूँ। मूँ वींपे नुवो यरूसलेम को नाम लिकूँ, जो परमेसर का हरगऊँ उतरबावाळो हे। मूँ वींपे मारो नुवो नाम भी लिकूँ।
ज्यो भी जिती, वीं अस्याईस धोळा गाबा पेरी। मूँ जीवन की किताब मेंऊँ वाँका नामने ने वगाड़ूँ, पण वाँका नाम ने बापू परमेसर अन वींका हरग दुताँ का हामे मान लेऊँ के, ईं मारा हे।