अतराक में ईसू जी क्यो, “मारे कणी हात अड़ायो हे?” तद्याँ हाराई नटबा लागा, तो पतरस अन वाँका हण्डाळ्याँ वाँकाऊँ क्यो, “हो मालिक, थाँने तो भीड़ च्यारूँमेरऊँ गेर मेल्या हे अन हाराई थाँके ऊपरे पड़रिया हे।”
जद्याँ वी ईसू का नकेऊँ जाबा लागा तो पतरस ईसुऊँ क्यो, “हो मालिक, माँको अटे रेणो भलो हे, माँ अटे तीन छतरिया बणावा एक थाँका वाते, एक मूसा का वाते अन एक एलिया वाते।” वो खुद ने जाणतो हो के, वो कई केरियो हे।
समोन पतरस वाँकाऊँ क्यो, “मूँ माछळ्याँ पकड़बा ने जारियो हूँ।” तो वणा वींने क्यो, “माँ भी थाँरा हाते आवा।” तो वीं नाव में चड़ग्या पण, वणी रात वीं एक भी माछळी ने पकड़ सक्या।