4 जद्याँ वी उपदेस पूरो करन समोनऊँ क्यो, “नाव ने ओर भी उण्डी ले चालो अन माछळ्याँ पकड़बा का वाते आपणाँ जाळ नाको।”
तद्याँ भी ईं वाते के, आपाँ वाँने नाराज ने करा। ईं वाते थूँ समन्द का कनारे जाळ नाक अन ज्यो माछळी पेल्या निकळे वींने ले, वींको मुण्डो खोलबाऊँ थने एक रिप्यो मेली। वींने लेजान मारा अन खुद का आड़ीऊँ वाँने दे दिज्ये।”
समोन ईसुऊँ क्यो, “हे मालिक, माँ पुरी रात-भर मेनत किदी पण कई हाते ने लागो। तो भी थाँका केवाऊँ जाळ नाकूँ।”
तो ईसू वाँकाऊँ क्यो, “नाव की जीमणा पाल्डे जाळ नाको तो पावो।” ईं वाते वाँकाणी जाळ नाक्यो, अन हेली माछळ्याँ वेबाऊँ जाळ खेंच ने सक्या।