ईसू वाँकाऊँ क्यो, “ब्याव के टेम में जद्याँ तईं बींद आपणाँ जान्या का हाते हे तो कई वींका जान्या रोवणो-धोवणो करी? पण वीं दन जद्याँ बींदराजा ने वाँकाऊँ छेटी किदो जई, वीं टेम वीं एकाणो राकी।
ईसू वाँने एक ओरी केणी की, “कुई, मनक नवा गाबा को टूकड़ो फाड़न जूना गाबा के कारी ने लगावे। ने तो नवा गाबा फाट जाई अन वीं नुवा गाबा की कारी जूना गाबा जस्यी हव ने लागी।
मसी ने वीं दाण तईं हरग में रेणो पेड़ी, जतरे वीं हारी बाताँ परमेसर पेल्याँ के जस्यान कोयने कर दे, जिंका बारा में नरई पेल्याँ परमेसर आपणाँ आड़ीऊँ बोलबावाळा पुवितर मनकाँ का मुण्डाऊँ बतायो हो।
थाँ एक-दूँजा की देह की मनसा ने पुरी करबा में छेटी मती रेज्यो, पण थोड़ीक टेम तईं परातना का वाते आपस का राजीपाऊँ छेटी रो अन पाच्छा एक हाते वे जावो। कटे अस्यान ने वे के, थाँका खुद ने बंस में राकबा की कमजोरीऊँ सेतान थाँकी परक करे।
में घणी मेनत किदी हे अन दुक का हाते जीवन जिदो हे। नरी दाण तो मूँ हूँ भी ने सक्यो। अन नरी दाण तो भुको-तरियो भी रियो हूँ, नरी दाण तो ठन्ड में बना गाबा के धूजतो रियो हूँ।