42 ईसू वेगा भाग-फाट्याँ घरऊँ निकळन कणी हून्नी जगाँ में पराग्या। लोग वाँने होदता-होदता वाँके नके पराग्या अन वाँकाऊँ परातना करन क्यो के, “वीं वाँने छोड़न ने जावे।”
पण, वो बारणे जान चोड़े-धाड़े ईं बात को परच्यार करबा लागो। ईं वाते ईसू कदी नगर में चोड़े-धाड़े ने जा सक्या, पण वीं हून्नी जगाँ में रेरिया हा अन मनक हर कटूँई वाँका नके आता रिया।
पण, वणा वींने ओ केन रोक्यो के, “माँकी लारे रे अन हाँज पड़गी अन दन आत ग्यो हो।” तद्याँ वो वाँकी लारे रेवा का वाते मयने ग्यो।
अन वणा दनाँ में ईसू एक मंगरा ऊपरे परातना करबा का वाते ग्या, अन परमेसरऊँ परातना करबा में हारी रात वितई।
ईसू वाँने क्यो, “मारो खाणो ओ हे के, मूँ मने खन्दाबावाळा की मरजी पे चालूँ अन वींको काम पूरो करूँ, ज्यो वणी मने हुप्यो हे।
जद्याँ वीं सामरी लोग-बाग वाँका नके आया अन अरज करबा लागा के, “माकाँ अटे रेवो।” ईं वाते ईसू वटे दो दन तईं रियो।
जद्याँ लोग-बागाँ की भीड़ देक्यो के, अटे ने तो ईसू हे अन नेई वींका चेला हे, तो वीं नावाँ में बेटन ईसू ने होदता तका कफरनूम आग्या।