16 ईसू नासरत नगर में ग्यो, जटे वाँको लालण-पालण व्यो हो। वो रीत के जस्यान आराम का दन में परातना घर में ग्यो अन धरमसास्तर भणबा का वाते ऊबो व्यो।
अन नासरत नाम का नगर में घर बणान रेवा लागग्यो, अस्यान वो बचन पूरो व्यो, ज्यो नरई परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा क्यो हो, “वो नासरी नामऊँ जाण्यो जई।”
जद्याँ युसुप अन मरियम परबू की वेवस्ता का जस्यान ज्यो भी करणो हो वो हाराई करन गलील परदेस में आपणाँ नगर नासरत में आया।
जद्याँ ईसू बारा वर का व्या तद्याँ तेवार की रीत की तरियाँ वीं यरूसलेम ग्या।
तो पसे वो वाँका हाते नासरत में पाछो आयो अन वाँकी आग्या को पालण करतो रियो। वींकी बई अणा हारी बाताँ ने आपणाँ मनईंमन में राकी।
ईसू वाँका परातना घर में उपदेस देबा लागा अन हाराई मनक वींकी बड़ई करता हा।
परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा यसाया की किताब वींने दिदी गी अन वो वींने खोलन भणबा लागग्यो जटे लिक्यो तको हो के,
तद्याँ ईसू वाँकाऊँ क्यो, “आज ईं सास्तर को यो बचन पूरो व्यो जस्यान थाँ हुणरिया हो।”
ईसू वाँकाऊँ क्यो, “थाँ मारा पे या केवत जरुर केवो, ‘हे वेद पेल्याँ आपणाँ खुद ने साबत कर। अन यो भी केवो के, कफरनहूँम में ज्यो कई किदो हे वींका बारा में माँ हुण्यो हे, वस्योईस आपणाँ नगर में भी कर।’”
ईसू वाँने क्यो, “में हाराऊँ खुलन बाताँ किदी। में परातना घर अन मन्दर में, जटे हारई मनक भेळा व्या करता हा। वटे हरदाण हिक दिदी अन छाने कई भी ने क्यो।
पोलुस आपणाँ रिति-रिवाज के जस्यान वाँऊँ मलबाग्यो, अन तीन सबद का दनाँ में वाँका हाते पुवितर सास्तरऊँ बात-बच्यार किदी।