5 हरेक घाट्याँ ने भर दिदी जाई अन हाराई मंगरा-मंगरिया ने हिदा कर दिदा जाई। जीं वाँका हे, वी हूँदा अन ज्यो उबड़-खाबड़ हे, वीं हम्मा किदा जाई।
जी गरीब भई हे वीं मेपणा करे, काँके परमेसर वाँने ऊसे उटाया हे।