21 अणीऊँ पेल्याँ जद्याँ हाराई मनक यहुन्नाऊँ बतिस्मा लेरिया हा। तद्याँ ईसू भी बतिस्मो लिदो। जद्याँ ईसू परातना कररिया हा, तद्याँ आकास खुलग्यो।
वो लोगाँ ने खन्दान परातना करबा ने एक मंगरा पे पराग्यो अन हाँज हुदी वो एकलो हो।
पण ईसू हुन्ना काकड़ में जान परातना करता हा।
एक दन ईसू ऐकला परातना करिया हा, तो वाँका चेला भी वाँके नके आया। तद्याँ ईसू वाँकाऊँ पूँछ्यो के, “लोग-बाग कई केवे हे के, मूँ कूण हूँ?”
ईंके केड़े ईसू वाँने क्यो, “मूँ थाँकाऊँ हाँची केवूँ हूँ के, थाँ हरग ने खुलो तको अन परमेसर का हरग-दुताँ ने मनक का पूत (ईसू) पे उतरता अन चड़ता तका देको।”