14 कुई अदिकारियाँ यहुन्नाऊँ क्यो, “माँ कई करा?” यहुन्ने वणाऊँ क्यो, “किंका नकेऊँ भी ज्योर-जुलमऊँ रिप्या मती लो। अन नेई किंपे जूटो आरोप लगावो। थाँ आपणी तनकाऊँ सन्तोक राको।”
जद्याँ ईसू कफरनूम नगर में आयो तो एक हो हपाया को सूबेदार वाँका नके आन वणीऊँ अरज किदी के,
जक्कई ऊबो वेन परबूऊँ क्यो, “ओ परबू जी, देको, मूँ मारी कमई को आदो हिस्सो गरीब-अनाता ने देवूँ हूँ अन यद्याँ किंको भी मन दुकान लिदो हे, तो वींने च्यार-गुणो पाछो दी देवूँ।”
जद्याँ लोगाँ वणीऊँ पूँछ्यो के, “अबे माँने कई करणो छावे?”
यहुन्ने वणाऊँ क्यो, “ते किदा तकाऊँ लगानऊँ हेलो मती लेज्यो।”
वो हरग-दुत जो वींऊँ बाताँ करियो हो, परोग्यो, तो कुरनेल्युस आपणाँ दो नोकराँ अन एक सपई जो धरमी मनक हो वींने बलायो जो वींकी हार-हमाळ करता हा।
ताँके थाँ ईं टेड़ी अन नसंगी हुगली पीड़ी का बचमें परमेसर का खरा, स्यवकार अन बना दोस का छोरा-छोरी वे जावो। थाँ अस्यी दनियाँ में तारा के जस्यान चमको,
कणी कमी का मस मूँ अस्यान ने केरियो हूँ, काँके हरेक दसा में सबर राकणो में हिक लिदो हे।
अस्यानीस भूड़ी लुगायाँ ने भी खरो जीवन जीवावाळी लुगायाँ की जस्यान जीवन जीणो छावे। वीं आमी-हामी करबावाळी अन पीयावाळी ने वेवे, पण हव हिक देबावाळी वेवे,
ईंका केड़े मने हरगऊँ जोरकी अवाज हुणई दिदी, “अबे आपणाँ परमेसर को छुटकारो, तागत, अन वींको राज अन मसी को अदिकार परगट व्यो हे, काँके आपणाँ भायाँ पे दोस लगाबावाळो, ज्यो रात-दन आपणाँ परमेसर का हामे वणापे दोस लगाया करतो हो, वींने हरगऊँ रेटे फेंक दिदा ग्यो।