12 लगान लेबावाळा भी वींका नके बतिस्मा लेबा आया। वणा यहुन्नाऊँ क्यो, “हो गरुजी, माँ कई कराँ?”
काँके यद्याँ थाँ आपणाँऊँ परेम करबावाळाऊँ परेम राको हो, तो थाँका वाते कई भलो वेई? कई कर लेबावाळो भी अस्यान ने करे हे?
पण, वणी लगान लेबावाळे ज्यो छेटी ऊबो हो अन हरग आड़ी मुण्डो ऊसो भी ने किदी पण, वणी रो-रोन क्यो, ‘ओ परमेसर मूँ पापी हूँ, मारा पे दया करो।’
जद्याँ लोगाँ वणीऊँ पूँछ्यो के, “अबे माँने कई करणो छावे?”
यहुन्ने वणाऊँ क्यो, “ते किदा तकाऊँ लगानऊँ हेलो मती लेज्यो।”
यहुन्नाऊँ बतिस्मो लिदा तका हाराई लोग-बाग अटा तईं के, लगान लेबावाला भी ईसू की ईं बात ने हुणन परमेसर का गेला ने हाँचो मान लिदो।
लोग-बागाँ जद्याँ ओ हुण्यो, तो वाँको मन दकी वेग्यो अन पतरस की लारे दूजाँ चेलाऊँ क्यो, “तो भायाँ, माने कई करणो छावे?”