10 जद्याँ लोगाँ वणीऊँ पूँछ्यो के, “अबे माँने कई करणो छावे?”
लगान लेबावाळा भी वींका नके बतिस्मा लेबा आया। वणा यहुन्नाऊँ क्यो, “हो गरुजी, माँ कई कराँ?”
कुई अदिकारियाँ यहुन्नाऊँ क्यो, “माँ कई करा?” यहुन्ने वणाऊँ क्यो, “किंका नकेऊँ भी ज्योर-जुलमऊँ रिप्या मती लो। अन नेई किंपे जूटो आरोप लगावो। थाँ आपणी तनकाऊँ सन्तोक राको।”
थाँको वेवार अस्यो वेणो छावे के, थाँ मन फेर लिदो हे। थाँ आपणाँ-आपणाँ मना में यो मती होचो के, ‘आपीं अबराम का बंस का हा।’ मूँ थाँकाऊँ केऊँ हूँ के, परमेसर अणा भाटाऊँ अबराम का वाते ओलाद जण सके हे।
अन वाँने बारणे लान क्यो, “हो भई-लोगाँ! बंचबा के वाते मूँ कई करूँ?”
लोग-बागाँ जद्याँ ओ हुण्यो, तो वाँको मन दकी वेग्यो अन पतरस की लारे दूजाँ चेलाऊँ क्यो, “तो भायाँ, माने कई करणो छावे?”
पतरस वाँने क्यो, “मन ने बदलो अन आपणाँ पापाँ की मापी के वाते थें हारई ईसू मसी का नामऊँ बतिस्मो लेवो। परमेसर थाँने पापाऊँ मापी देई अन थाँने पुवितर आत्मा को दान मल जाई।
पण, अबे थूँ ऊबो वेजा अन नगर में जा, वटे थने बता दिदो जाई के, थने कई करणो हे।