53 वीं रोज मन्दर में भेळा वेन परमेसर का भजन करिया करता हा।
अन वाँने हारी बाताँ ज्यो में थाँने क्यो हो, वाँने मानबा हिकावो। आद राकज्यो, मूँ दनियाँ का अंत तईं हमेस्यान थाँका हाते हूँ।”
वींका चेला बारणे जान हारी जगाँ परच्यार किदो, वाँकी लारे परबू काम कररिया हा। वाँका अचम्बावाळा काम की वजेऊँ ज्यो वे परच्यार कररिया हा, वीं सिद वेता ग्या।
अन वणा हाराई वींके गोडा टेकन धोक देन राजी वेता तका यरूसलेम में पराग्या।
किंकी भी रचना करबाऊँ पेल्या बचन हो अन बचन परमेसर का हाते हो अन वो बचनइस परमेसर हे।
परबू ईसू को अनुगरे हाराई परमेसर का पुवितर मनकाँ का हाते बण्यो रेवे। आमीन।