31 वणीस दाण वाँकी आक्याँ खलगी अन वणा वींने ओळक लिदो हो, पण वो वाँकी आक्याँ आगेई खुवाग्यो।
वटा का मनकाँ ईसू ने ओळक लिदा अन अड़े-भड़े का हाराई देस में हमच्यार खन्दायो अन वीं हाराई माँदा मनकाँ ने वाँका नके लाया,
पण, वाँकी आक्याँ अस्यी बन्द कर दिदी गी ही के, वीं वींने देकता तका भी ओळक ने सक्या।
पण ईसू वाँका बचमेंऊँ निकळन पराग्या।
ईं बात पे वणा ईसू ने मारबा के वाते भाटा हाताँ में ले लिदा, पण वो छानेकूँ मन्दरऊँ बारणे निकलग्यो।