29 पण, वणा वींने ओ केन रोक्यो के, “माँकी लारे रे अन हाँज पड़गी अन दन आत ग्यो हो।” तद्याँ वो वाँकी लारे रेवा का वाते मयने ग्यो।
पसे वणी मालिक क्यो, ‘नगर में अन खेता में बाड़ा-वुड़ी हारी जगाँ में जावो अन हरेक मनक ने हाता-जोड़ी करन अटे लावो ताँके मारो घर पूरो भर जावे।
अतराक में वीं वणी गाम में पूग ग्या, जटे वीं जारिया हा अन ईसू का ढंगऊँ ओ लागो के, वींके ओर आगे जाणो हे।
जद्याँ वो वाँकी लारे खाणो खाबा ने बेट्यो, तो वणी रोटी लेन परमेसर ने धन्नेवाद दिदो अन रोटी तोड़न वाँने दिदी।
वटे लुदिया नाम की एक लुगई ही, जो थुआतीरा नगर की ही, ज्या रेसम का गाबा बेंचती अन भगती करबावाळी ही। परमेसर वींका मन में आ बात नाकी के, वा पोलुस की बाताँ ने ध्यानऊँ हुणे।