28 अतराक में वीं वणी गाम में पूग ग्या, जटे वीं जारिया हा अन ईसू का ढंगऊँ ओ लागो के, वींके ओर आगे जाणो हे।
वे देक्यो के, चेलाऊँ नाव ने आगे डगाणो घणो भारी पड़रियो हे, काँके वइरो वाँके हामे चालरियो हो। तो भाग-फाट्याँ के लगे-भगे वो समन्द पे चालतो तको वाँका नके आयो अन वाँकाऊँ आगे निकलणो छातो हो,
पण, वणा वींने ओ केन रोक्यो के, “माँकी लारे रे अन हाँज पड़गी अन दन आत ग्यो हो।” तद्याँ वो वाँकी लारे रेवा का वाते मयने ग्यो।