24 जद्याँ माकाँ हण्डाळ्याँ मूँ कुई कबर पे ग्या अन ज्यो वणा लुगायाँ क्यो हो, वस्यीईस बात वटे देकी, पण ईसू ने, ने देक्या।”
तो हेरोदेस छानेऊँ ज्योतिसी माराजा ने बलान पूँछ्यो के, तारो कणीक दाण दिक्यो हो?
तद्याँ पतरस उटन कबर का आड़ी दोड़्यो अन वणी कबर में छाकन देक्यो के, तो वटे धोळा चादरो पड़्या हा ओर कई ने हो। पसे वटे ज्यो भी वणी देक्यो वींमें अचम्बो करतो तको आपणाँ घरे परोग्यो।
पण जद्याँ वाँने वींकी लास वटे ने मली, तो वीं ओ केती तकी अई के, माँ हरग-दुत का दरसण किदा अन वणा दुताँ माँने क्यो के, ‘ईसू पाछो जीवतो वेग्यो हे।’
तद्याँ ईसू वाँने क्यो, “ओ बना अकल का अन परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा की बाताँ पे भरोसो ने करबावाळा मनकाँ।