ईसू अणी धरती का जीवन में ज्यो वींने बंचा सकतो हो, वणीऊँ जोरऊँ हाको करतो तको अन रोते तके अरज अन परातना किदी ही अन नमरता अन भगती का मस वींकी हुण लिदी गी ही।
जद्याँ वाँकी बेजती किदी गी, तो भी वणा किंकीई बेजती ने किदी। जद्याँ वीं दुक जेलरिया हा, तो भी वणा किंने भी धमकी ने दिदी, पण वणा आपणाँ खुद ने हाँचा न्याव करबावाळा परमेसर ने हूँप दिदा।