44 वीं दाण दन की बारा बजी री ही, तद्याँ बारा बज्याऊँ तीन बज्या तईं आकी धरती अंदारो रियो,
दपराँ का बारा बज्याँ लेन तीन बज्या तईं वीं हारा देस में अन्दारो रियो।
अन अटा तईं कबराँ खुलगी, अन मरिया तका पुवितर मनकाँ मेंऊँ नरई पाच्छा जीवता वेग्या।
हो सपायाँ का हाकम, ज्यो ईसू का हामे ऊबो हो, वींने बोलतो तको हुण्यो अन देक्यो के, वींको जीव कस्यान निकळयो। वणी क्यो, “ओ मनक हाँची में परमेसर को पूत हो।”
यो फसे का तेवार की त्यारी को दन हो अन दपराँ की बारा बज्याँ के लगे-भगे टेम हो। तद्याँ पिलातुस यहूदियाँऊँ क्यो, “देको, ओ रियो थाँको राजा।”
परबू के पाच्छा आबा के मेमा अन बड़ो दन आबा की बगतऊँ पेल्याँ, सुरज काळो अन चाँद खून जस्यान रातो वे जाई।