43 ईसू वींने क्यो, “मूँ थाँराऊँ हाचेई में केवूँ हूँ के, आजइस थूँ मारी लारे हरग में वेई।”
मूँ मनक को पूत गमाया तका ने होदबा अन वाँने बंचाबा का वाते आयो हे।”
पसे वणी क्यो, “ओ ईसू, जद्याँ थाँ आपणाँ राज में आवो, तो मने आद राकज्यो।”
जगाँ बणाया केड़े मूँ पाछो थाँने लेबा ने आऊँ अन पछे आपाँ हातेईस रेवा।
“हो बापू, मूँ छावूँ हूँ के, ज्याँने थाँ मने दिदा हे, वीं जटे मूँ हूँ वटे वीं भी मारा लारे वेवे। ताँके वीं मारी वणी मेमा ने देके ज्यो थाँ मने दिदी, काँके थाँ दनियाँ का बणावाऊँ पेल्याऊँ माराऊँ परेम किदो।
ईं वाते आपाँ हिम्मत राका हाँ अन खुद की देह ने छोड़न, परबू का हाते वाँका घर में रेणो छावाँ हाँ।
मूँ ईं दुया का बचमें लटक्यो तको हूँ। मारो जी तो छारियो हे के, ओ डील छोड़न मसी का नके जान रूँ, काँके ओ घणोइस हव हे,
अन ज्यो वणीऊँ परमेसर हुदी जावे हे, वीं वाँने पूरो छुटकारो देवा का वाते ताकड़े हे, काँके वो वाँका वाते अरज करबा का वाते हमेस्यान जीवे हे।
जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे। ज्यो भी बुरईऊँ जिती मूँ वींने परमेसर का बाग में जीवन का रूँकड़ा का लाग्या तका फळ खाबा को हक देऊँ।