40 पण, दूजे वीं पेल्यावाळा ने तापड़न क्यो, “कई थूँ परमेसरऊँ ने दरपे हे? थने भी तो याईस सजा मलीरी हे।
जद्याँ वीं आया ज्यो घड़ीभर दन रेग्यो हो, वीं दाण दानकी पे लगाया ग्या हाँ, वाँने एक चाँदी को सिक्को मल्यो।
तद्याँ ईसू वणाऊँ क्यो, “हो कम विस्वासवाळा, काँ दरपो हो?” अन वाँकाणी उटन डूँज अन लेराँ ने तापड़ी अन च्यारूँमेर डूँज सान्त वेगी।
मूँ थाँने बताऊँ हूँ के, थाँने बेस परमेसरऊँ दरपणो छावे। ज्यो मारन नरक में नाकबा की तागत राके हे।
वटे लटकाया तका दो गुनेगाराँ मेंऊँ एक मनक भी ईसू की रोळ करते तके क्यो, “कई थूँ मसी कोयने हे? थूँ खुद ने अन माँने भी बंचा ले।”
अन आपाँ तो न्यावऊँ सजा पई, काँके आपाँ तो आपणाँ काम को फळ पारिया हा, पण अणी तो कई बुरो ने किदो हे।”
वणा अन्दारा का कामाँ में भेळा मती वो, पण वणा कामाँ ने चोड़े करो।
परबू थाँकाऊँ हाराई मनक दरपता रेई। हाराई मनक थाँको नाम लेन जे-जेकार करी, काँके खाली थाँईस पुवितर हो। हारी जात्या का मनक थाँका नके भेळा व्या हे वीं थाँकी भगती करी। काँके थाँका किदा तका काम हामे हे, अन हो परबू थाँ ज्या भी करो हो, वो न्याव हे।”
वीं मनक दुक अन गुमड़ा की वजेऊँ हरग का परमेसर को अपमान करबा लागा, पण वणा आपणाँ कामाँऊँ मन ने बदल्यो।