जद्याँ पिलातुस न्याव की गाद्दी पे बिराज्यो तको हो तो वाँकी लुगई वींने ओ हमच्यार खन्दायो, “थूँ वणी धरमी मनक का मामला में भेळा मती रेज्ये। काँके में आज हपना में वाँका वाते घणो दुक जेल्यो हे।”
पिलातुस मनकाँऊँ तीजी दाण पूँछ्यो, “अणी कई गलत किदो हे? में तो ईंमें कई दोस ने पायो हे, जणीऊँ यो मोत को दण्ड भुगते। ईं वाते मूँ ईंके कोड़ा लगवान छोड़ देऊँ।”
पण में जाण लिदो के वणी अस्यो कई ने किदो के, वींने मारबा को हुकम देवाँ। वणी खुदईस रोमी राजा का दरबारऊँ अरज करबा वाते क्यो हो तो में वींने अटूँ खन्दाबा वाते ते किदो।
अबराम, इसाक अन याकूब का परमेसर, आपणाँ बड़ाबा का परमेसर आपणाँ सेवक ईसू की मेमा किदी। थाँकाणी वींने मराबा के वाते पकड़वा दिदो अन पछे पिलातुस वींने छोड़बा की बात ठाणी, तो थाँ लोगाँ पिलातुस के हामे भी वींने नकार दिदो।
काँके मसी भी आपणाँ पापाँ का वाते दुक जेल्यो हो। ईंको मतलब ओ हे के, वो निरदोस हो तो भी वो आपणाँ पाप का वाते एक दाण मरग्यो, जणीऊँ वो आपाँने परमेसर का नके ले जावे। वो देह का रूप में तो मरग्यो, पण आत्मिक रूप में जिवायो ग्यो हे।