33 जद्याँ वीं वणी जगाँ आया, जिंको नाम “खोपड़ी” हो। तो वणा गुनेगार मनकाँ ने भी ईसू का एक जीमणा पाल्डे अन दूजाँ ने डावा पाल्डे हूळी पे चड़ा दिदा।
अन वींने ज्यो यहूदी ने हा वाँका हाताँ में हूँपी के, वीं वींकी रोळ करी, वीं वींके कोड़ा मारी अन हूळी पे चड़ाई, अन वो तीजे दन जिवायो जाई।”
“थें जाणो हो के, दो दन केड़े बना हाज्या की रोट्याँ को तेवार हे अन मनक का पूत ने हूळी पे चड़ाबा का वाते धोकाऊँ पकड़वायो जाई।”
‘ओ जरूरी हो के, मूँ मनक का पूत पाप्याँ का हाताँ में पकड़वायो जाऊँ अन पसे मूँ हूळी पे चड़ा दिदो जाऊँ अन मूँ पाछो तीजे दन जीवतो वे जाऊँ।’ ”
यो ईं वाते व्यो के, ईसू की वाँ बात पुरी वेवे ज्याँ वणा आपणी मोत का बारा क्यो हो के, वींकी मोत कस्यान वेई।
“जीं तरिया मूसे काकड़ में पीतळ का हाँप ने ऊसो उटायो हो, वणीस रितीऊँ जरूरी हे के, मनक को पूत भी ऊसो उटायो जाई।
ईसू वाते जो भी सास्तर में लिक्यो हो, वो हारोई वणा पूरो कर नाक्यो हो, तो वाँकाणी वींने हूळीऊँ उतारन कबर में मेल दिदो।
ईसू ने परमेसर आपणी पाक्की ओजणा अन पेली का ग्यानऊँ होच-हमजन थाँने हूँप्यो अन थाँकाणी वींने नीच मनकाँ का हाताँ में पकड़वान हूळी पे खीलाँ ठुकवान मरवा नाक्यो।
ईं आपणाँ बड़ाबा का परमेसर, ईसू ने मरयाँ तकाऊँ पाछो जीवतो करन ऊबो कर दिदो हे, जिंने हूळी पे लटकान थाँ लोगाँ मार नाक्यो।
ईसू मसी ज्यो आपणाँ वाते हरापित व्यो अन आपाँने वणा मूसा का नेमाऊँ छोड़ाया, काँके सास्तर में लिक्यो हे के, “ज्यो कुई हूळी पे लटकायो जाई वो हरापित वेई।”
वीं आपणाँ पापाँ ने खुद की देह पे लेन हूळी पे चड़ग्या, ताँके आपाँ पाप का वाते मरन धारमिकता का वाते जीवन जीवाँ, वींके मार खाबा के वजेऊँ थाँ हव व्या हो।