30 पछे वीं मनक मंगराऊँ केई के, ‘थाँ माकाँ ऊपरे पड़ जावो’ अन मंगरियाँऊँ केई के, ‘माने ढाकी दो।’
काँके जद्याँ मनक हरा रूँकड़ा का हाते अस्यो करे हे, तो वीं हूका रूँकड़ा का हाते कई-कई ने करी?”
वीं मंगरा अन छाँटाऊँ केरिया हा के, “माकाँ पे पड़ जावो। ज्यो गादी पे बेट्यो तको हे वणीऊँ अन उन्याँ का गुस्साऊँ माँने हपई दो,
वणा पाँच मिना में मनकाँ मोत ने होदी पण वाँने मोत ने आई। वीं मोत का वाते घणा तड़प्याँ, पण मोत वाँके आगेऊँ भागगी।