काँके देको अस्या दन आरिया हे, जद्याँ मनक केई, ‘घणी भाग्यवाळी हे वी लुगायाँ जी बना छोरा-छोरी की हे अन घणी भाग्यवाळी हे वा कोख जणी कदी बाळक ने जण्यो हे अन घणा भाग्यवाळी हे वी लुगायाँ जणा कदी आपणाँ छोरा-छोरी ने दूद ने पायो।’
देको, वो वादळा का हाते आबावाळो हे अन वींने हाराई आपणी आक्याँऊँ अन वीं मनक भी जणा वींने दुक दिदो हो देकी। अन धरती का हाराई मनक वाँके वजेऊँ रोई। अस्यान पाको हे के, यो वेई, आमीन।