18 तद्याँ हाराई मनक हाको करबा लागा के, “ईंने मोत की सजा दो अन माकाँ वाते बरब्बा ने छोड़ दो।”
पिलातुस फसे का तेवार पे हर साल लोग-बागाँ का वाते कस्या भी एक बन्दी ने छोड़तो हो।
बरब्बा ने नगर में लड़ई-जगड़ो अन हत्या का करबा का मस जेळ में बन्द कर मेल्यो हो।
पण पतरस बारणे बाणा पे ऊबो रियो। तद्याँ वो दूजो चेलो ज्यो मोटा याजक की पेचाणवाळो हो, बारणे आयो अन चोकीदारणीऊँ केन पतरस ने मयने लेग्यो।
लोग वींके आगे-पाछे भेळा वेन केरिया हा, “ईंने मार नाको”।
आ बात तईं वे वींकी बात हूणता रिया। तद्याँ जोरऊँ हाको करन केबा लागा, “अणी मनक ने मार नाको, यो अणी धरती पे जीवतो रेवा के जोगो ने हे।”
थाँ लोगाँ वीं धरमी अन नेकवान मनक ने नकार दिदो अन थाँका वाते एक हत्यारा की माँग किदी।