62 तद्याँ परतस बारणे जान घणो रोबा लागो।
तद्याँ पतरस ने ईसू की बतई तकी बात आद अई के, “कूकड़ा का बोलबाऊँ पेल्याँ थूँ तीन दाण मने ओळकबाऊँ नकार देई।” अन वो बारणे जान छाती कूट-कूटन रोबा लागो।
धन्ने हे वीं ज्यो रोवे हे, काँके परमेसर वाँने सान्ती देई।
जट दूजी दाण कूकड़ो बोल्यो अन पतरस ने वीं टेम पे ईसू का सबद आद आग्या, ज्यो वाँकाणी क्या हा, “कूकड़ा के दो दाण बोलबाऊँ पेल्याँ थूँ मने तीन दाण ओळकबाऊँ नट जाई।” तो पतरस मन में ओ होचन कल्ड़ो-कल्ड़ो रोबा लागो।
जद्याँ परबू पतरस का आड़ी देक्यो अन पतरस ने परबू की वा बात आद अई। ज्याँ वणा क्यो हे के, “आज कूकड़ा के बोलबा का पेल्या थूँ तीन दाण मने ओळकबाऊँ नट जाई।”
जणा मनक ईसू जी ने पकड़ राक्या हा, वी वाँकी रोळ करन वाँने कुटबा लागा।
ईं वाते ज्यो ओ होचे के, वो विस्वास में सई ऊबो तको हे, तो वींने ध्यान राकणो छावे के, वो रेटे ने पड़ जावे।