57 पण, परतस नटन क्यो, “ए लुगई, मूँ वींने ने ओळकूँ हूँ।”
ज्यो कुई मने हाराई मनकाँ का हामे ने मानी, मूँ भी वाँने हरग में बिराज्या तका मारा परम बापू परमेसर का हामे ने मानूँ।
पण परतस हाराई का हामे ओ केता तको नकार दिदो के, “मने पतो कोयने, थूँ कई केरी हे।”
पण, ज्यो मनकाँ का हामे मने ने माने हे, वाँने भी परमेसर का हरग-दुताँ का हामे ने मान्यो जाई।
अन एक दासी वादी का उजिता में वींने बेट्यो तको देकन केबा लागी, “ओ भी वींका हाते हो।”
थोड़ीक दाण केड़े कणी दूजे वींने देकन क्यो, “थूँ भी वाँका मूँ एक हे।” पतरस क्यो, “ए भई, वो मूँ ने हूँ।”
समोन पतरस ऊबो तको तापरियो हो। तद्याँ कणी वींने क्यो, “कई थूँ भी तो ईंका चेला मूँ एक हे?” पण पतरस नटग्यो अन क्यो, “ने मूँ ने हूँ।”
पतरस पाछो एक दाण ओरी नटग्यो अन तरत कूकड़ो बोल ग्यो।
ईं वाते थाँ आपणो मन बदलो अन परमेसर का दयने आ जावो, ताँके परमेसर थाँका पापाँ ने माप करे
पण यद्याँ आपाँ परमेसर का हामे खुद का पाप ने मानाँ, तो वो आपणाँ पाप ने अन आपणाँ हाराई अधरम माप कर देई, काँके वो विस्वास जोगो अन न्याव करबावाळो हे।