जट दूजी दाण कूकड़ो बोल्यो अन पतरस ने वीं टेम पे ईसू का सबद आद आग्या, ज्यो वाँकाणी क्या हा, “कूकड़ा के दो दाण बोलबाऊँ पेल्याँ थूँ मने तीन दाण ओळकबाऊँ नट जाई।” तो पतरस मन में ओ होचन कल्ड़ो-कल्ड़ो रोबा लागो।
काँकरा वाळी जगाँ का बीज वणा मनकाँ का जस्यान हे के, जद्याँ वी हुणे, तो वी आणन्द का हाते परमेसर की वाणी ने माने हे। पण वीं जड़ ने पकड़वा का मस थोड़ीक दाण विस्वास करे हे अन परक की दाण वी भाग जावे हे।
पछे कूण हे ज्यो आपाँने दोसी बतावे? काँके ईसू मसी आपणाँ वाते मरग्यो हो अन वींने पाछो जिवायो ग्यो। वोईस हे ज्यो परमेसर का जीमणा पाल्ड़े बेटो हे अन आपणाँ वाते अरज करे हे।
मूँ ईसू मसी का नामऊँ थरप्यो तको परमेसर को दास पोलुस, ओ कागद तीतूस ने लिकरियो हूँ। मने परमेसर का चुण्या तका मनकाँ ने विस्वास में बडाबा का वाते खन्दायो हे, जणीऊँ वीं हाँच ने जाणन हाँचो जीवन जीवे।
मूँ पतरस ज्यो परबू ईसू मसी को थरप्यो तको चेलो, यो कागद वणा मनकाँ ने लिकरियो हूँ, जी परमेसर का आड़ीऊँ चुण्या तका हे अन ईं पुन्तुस, गलातिया, कप्पदुकिया, एसिया अन बितुनिया का परदेस में बारबासी वेन वकरिया तका हे।
ईं वाते हो मारा लाड़ला भायाँ, थाँ अणा बाताँ की वाट नाळरिया हो, ईं वाते थाँ पुरी कोसीस करो के, परमेसर की नजरा में खरा, बना दोस का अन सान्तीऊँ रेबावाळो केवावो।