तद्याँ वणा मनकाँ ने क्यो के, रेटे बेट जावो अन वणा पाँच रोट्याँ अन दो माछळ्याँ लिदी अन हरग का आड़ी देकन धन्नेवाद दिदो अन रोट्याँ का कवा करन चेला ने दिदी चेला वाँने मनकाँ में बांट दिदी।
जीवन की रोटी जा हरगऊँ उतरी हे वाँ मूँईस हूँ। यद्याँ कुई अणी रोटी ने खाई, तो वीं हमेस्यान जीवता रेई अन ज्या रोटी मूँ दनियाँ का जीवन का वाते देवूँ, वाँ मारी देह हे। अणीऊँस दनियाँ का मनक जीवता रेवे हे।”
वो धन्नेवाद को प्यालो, जिंपे आपीं धन्नेवाद कराँ हाँ, कई आपीं मसी का लुई में भेळा कोयने? वाँ रोटी जिंने आपीं तोड़ा हाँ, कई मसी की देह में आपीं भेळा कोयने?