10 ईसू वाँकाऊँ क्यो, “देको, नगर में जाताई एक मनक पाणी की कळी माता का पे ले जातो तको थाँने मली। जणी घर में वो जावे, थाँ वींका पाछे-पाछे परा जाज्यो।
ज्यो मुण्डा में जावे हे, वो मनकाँ ने असुद ने करे, पण ज्यो मुण्डाऊँ निकळबावाळा बुरा सबदइस वींने वटाळ देवे हे।”
अन वीं घर का मालिकऊँ केज्यो के, ‘गरुजी थाँराऊँ केवे हे के, वा ओवरी कटे हे जणीमें मूँ आपणाँ चेला की लारे फसे का तेवार को जीमण जीम सकूँ?’
वणा वींकाऊँ क्यो, “माँ कटे तेवार मनाबा की त्यारी कराँ?”
पण में ईं बाताँ ईं वाते थाँने क्यो के, जद्याँ अणाको टेम आई तो थाँने आद आ जई के, में थाँने पेल्याई के दिदो हो। “में सरू में थाँने ईं बाताँ ईं वाते ने किदी, काँके मूँ थाँका हाते हो।